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ध्रुवावर्त्त  : पुं० [ध्रुव-आवर्त्त, मध्य० स०] १. घोड़ों के शरीर के कुछ विशिष्ट अंगों में होनेवाली भौरी या चक्र। विशेष—घोड़ों के अपान, भाल, मस्तक, रंध्र या वक्षःस्थल पर होनेवाली भौरियाँ ‘ध्रुवावर्त’ कहलाती हैं। २. वह घोड़ा जिसके शरीर पर उक्त भौंरी हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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